म.प्र. साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा नारदमुनि पुरस्कार से अलंकृत

वो कुछ दिनों से याद आया भी नहीं

✍️आयुष गुप्ता
वो कुछ दिनों से याद आया भी नहीं
मैंने उसे यकसर भुलाया भी नहीं

गो ध्यान में वो चेहरा भी अब कहाँ
तस्वीर को उसकी जलाया भी नहीं

पूँछा नहीं मैंने जुदाई का सबब
फिर यूँ हुआ, उसने बताया भी नहीं

उसने पलटकर राह में देखा मगर
देखा मुझे तो मुस्कुराया भी नहीं

ना याद उसको ही रहा मिलना मुझे
कहकर उसे मैंने सताया भी नहीं


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