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सुंदर मन-सुंदर जीवन


✍️बीना रॉय

इस संसार में  सुंदर  जीवन जीने की  चाहत हम सबमें होती है जिसे पूरा करने हेतु हम सब कितने तौर तरीके , शिक्षा , कला व मेहनत को अपनाते हैं। इनमें से एक और बात पर अक्सर  हम सब बहुत खास ध्यान देते हैं और वो है स्वत: को थोड़ा बहुत सुंदर इंसान बनाना । बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जो अपने सुंदरता पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते होंगे और कुछ लोग तो लगभग अपना संपूर्ण ध्यान और जीवन अपने सुंदरता पर ही लगा देते हैं।

अक्सर कुछ लोग बहुत सुंदर सूरत  में भी कुछ अजीब से रूखे इंसान लगते  और उनके अतिशय सुंदरता में भी कहीं कोई बहुत बड़ा अधूरापन सा लगता है। कभी कभी तो इस अधूरेपन का कारण उनके जीवन में उपस्थित कोई बहुत बड़ी उदासी, अभाव अथवा कोई अवांछित घटना भी होते हैं।  पर किसी किसी इंसान के जीवन में सारी संपन्नता होने के बावजूद और उसके बहुत सुंदर सूरत और बदन होने के बाद भी उसमें कुछ बहुत अधूरापन सा लगना या अरूचिकर इंसान लगने का कारण उसमें मन की सुंदरता का अभाव होना भी बहुत बड़ा कारण होता है।

आप के मन की सुंदरता अनायास ही आप के आंखों से झांकती है और स्वभाव से टपकती रहती है अर्थात मन से सुंदर व्यक्ति सारे अभावों के बीच भी सबको रूचिकर लगता है। क्या और कैसी होती है ये मन की सुंदरता?  इसके जवाब में अनगिनत बातें गिनाई जा सकती है पर संक्षेप में और साधारण भाषा में तो यही कहा जा सकता है कि जिसे दूसरे का दुःख अपना लगे और जो हर हाल में किसी लाचार की मदद करना चाहे वही मन से सुंदर है।

सुंदर शरीर और सूरत की कोई भी प्रशंसा अवश्य करता है पर सुंदर मन वाले व्यक्ति तो ईश्वर के मन के करीब होते हैं और जो ईश्वर की मन के करीब रहता उसक जीवन तो बहुत सारे अभावों के उपरांत भी बेहद खूबसूरत होता है। मन से सुंदर व्यक्ति की मुस्कान हृदयस्पर्सी होती  है तथा उसके ऊंची डांट फटकार में भी अपनेपन की खुशबू आती है ।मन से सुंदर व्यक्ति कभी किसी के असफलता पर खुश नहीं हो सकता । सुंदर मन के व्यक्ति के हाथों की छुवन ही किसी केबड़े से बड़े दुख में भी असरकारी मरहम का काम कर जाती है।अतः तन के साथ ही हमें अपने मन की सुंदरता पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि मन से सुंदर व्यक्ति की ही पुकार ईश्वर अति शीघ्र सुनता है। अतः हमें स्वयं में तथा अपने बच्चों में भी सुंदर मन की विकास के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।

 


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