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जिंदगी के अंधेरों में जलती मशाल थे बी. के. व्यास सागर


यह संसार एक सराय है और यहां आकर कोई सदा के लिए नहीं रह सकता हैं । इंसान  , जीव - जन्तु , पशु-पक्षी, पेड पौधे हर कोई अपना कर्म करता है और जब उसका कर्म पूरा हो जाता हैं तो वह यह नश्वर संसार को छोड़ कर इंसान परलोक सिधार जाता हैं । जैसे पुष्प सवेरे-सवेरे खिलते है और दिन भर अपनी खुश्बू देते है और शाम पडते - पडते पुष्प मुरझा जातें है । अतः जब व्यक्ति से हमारा लगाव हो जाता है तो फिर उसके चले जानें पर अपार दुख होता हैं । यह कटु सत्य है कि जो आता है उसे एक न एक दिन अवश्य ही जाना है । बाद में तो यादें शेष रह जाती है ।

मेडतासिटी  के साहित्यकार व अभिन्य के अहम् किरदार बी. के. व्यास सागर का  22 अक्तूबर 2020 को निधन हो गया वे 52 वर्ष के थे ।  सागर के निधन से मेडतासिटी के साहित्य जगत को एवं अभिनय के क्षेत्र में जो अपूर्णीय क्षति हुई उसकी पूर्ति करना असम्भव है साहित्यकार सागर के निधन का समाचार सुनते ही मेडता सिटी के साहित्य जगत में शोक की लहर दौड पडी ।  सागर ने पचास से अधिक धार्मिक, हास्य, मनोरंजनात्मक वीडियों एलबमों में कार्य किया । राजस्थानी फिल्म जय जीण माता , जय श्री बाबा रामदेव, नाग अवतार गोगा पीर , बुटाटी के देव एवं तांडव में अभिनय किया । धारावाहिक लाट साहब , आ केडी रीत है बापू में अहम् किरदार रहें । सागर की लिखी कहानी , कविताएं, संस्मरण, सामयिक लेख व साक्षात्कार 130 से अधिक पत्र पत्रिकाओ में प्रकाशित हो चुके हैं । वे अनेक संस्थाओं व उपखंड स्तर व जिला स्तर पर  प्रशासन द्धारा उत्कृष्ट व उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित हो चुके है । सागर ने कई समाचार पत्रों में समाचार सम्पादन का कार्य भी किया । 

उन्होंने वर्ष 2013 में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के आंशिक सहयोग से दो फाड पुस्तक लिखी थी । उन्होंने यह पुस्तक अपने पिता स्व0 मंडल दत व्यास पथिक को समर्पित की थी ।स्व0 सागर बडे ही मिलनसार, शांत स्वभाव के व सेवाभावी व्यक्ति थे । उनका जीवन एक खुली किताब की तरह था । वे सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी थे । उन्होंने हमेशा नयें  रचनाकारों को प्रोत्साहन दिया उनका हौसला अफजाई किया । वे तो स्वंय एक चिंतक व विचारक थें । उनकी लेखनी में दम खम्भ था ।  वे सत्य के पक्षधर थे व सत्य बात लिखने से कभी नहीं घबराये । उनकी लेखनी रचनात्मक  थी । यहीं वजह है कि उन्होंने बुरे वक्त में भी कभी किसी की चापलूसी नहीं की और न ही कभी किसी के समक्ष झुकें । वे तो नयें साहित्यकारों के लिए एक चलती  - फिरती यूनिवर्सिटी थें । जो व्यक्ति उनके संपर्क में एक बार आ जाता था वह सदा - सदा के लिए उनके परिवार का सदस्य बन जाता था । वे प्रतिभाशाली युवा रचनाकारों व पत्रकारों की भूरी - भूरी प्रशंसा करने में कभी भी संकोच नहीं करते थे । उन्होंने कई रचनाकारो  के लिए एक असाधारण गुरु के रूप में भी अपनी पहचान बनाई ।

वे सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी थे । वे निरन्तर सेवा कार्य में लगें रहें । उन्होंने हर किसी का संकट के सभय में एकजुटता , आत्मविश्वास और मनोबल बढाया । उनमें अद् भूत संगठन शक्ति थी । उनकी जैसी स्पष्टवादिता  , सादगी व अपनत्व अब कहा देखने को मिलता हैं । कौन कहां व कब मिलें और कैसे बिछड जायें यह आज तक कोई भी नहीं जान पाया हैं।वे सदा कहा करते थे कि कभी भी किसी का विश्वास न तोडे चूंकि वे खरे सोने की तरह थे । उन्होंने उस सोने की चमक

(विश्वास) को कभी भी खोने नहीं दिया । उनका कार्य कई मायनों में याद रखा जायेंगा । अपने विचारों के वे पक्के धनी थे । पत्रकारिता व साहित्य  के क्षेत्र में मर्यादा कायम करने की मिसाल रखी । पीडितो को राहत व इंसाफ दिलाने के प्रति उनका रूझान हर किसी को उत्साहित करता था ।

आज भले ही वे हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनकी यादें और उनके योगदान को हम कभी भी भूला नहीं पायेंगे । परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हो , लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए चूंकि ईश्वर एक दरवाजा बंद करता है तो दूसरें कई दरवाजे खोल देता हैं । यह उनका मूल मंत्र था  । वे एक कुशल वक्ता थे और उनके ज्ञान की तारीफ हर कोई करता । वे अलग-अलग विचारधारा और राजनितिक पृष्ठभूमि के लोगों के बीच संवाद और सहयोग की जरूरत पर विश्वास करते थे । सरल , सौम्य  , बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी , सेवाभावी, कोमल हृदयधारी , सर्वत्र लोकप्रिय, सादगी पूर्ण जीवन, दयाभाव, मधुरवाणी , धार्मिक व्यक्तित्व सदैव आपकी उपस्थिति का अहसास दिलाता रहता हैं । आप सम्पूर्ण परिवार के लिए अथाह शक्ति के स्त्रोत थे । आपने जीवन में हमें सत्य  , श्रम एंव निःस्वार्थ कर्म का मार्ग दिखाया । आपकी पावन स्मृति को मन में संजोए  , हम इस मार्ग पर सदैव चलेंगे । आपका अपूर्ण तेजस्व पूरे परिवार को सदा ही प्रभावित करता रहेगा ।

वे किसी परिचय के मोहताज नहीं थे । उन्होंने समाज में जो अनुकरणीय योगदान दिया वह बेमिसाल ही नहीं बल्कि मानवीयता का एक आदर्श उदाहरण भी हैं । वे सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से जुड़े रहकर मानव मात्र कल्याण के लिए समर्पित रूप से सेवा देते रहे । वे करूणा , मानवता एवं संवेदनशीलता के प्रेरक पुरूष थे । वे अपने आप में वटवृक्ष की भांति एक संस्थान थे । समाज सेवा को जीवन का ध्येय मानने वाले सक्रियता से जुड़े रहकर तन , मन व धन से सहयोग किया । उनके विचार  , धर्मपरायणता एवं उच्च आदर्श ही हमारे प्रेरणास्रोत एवं सम्बल हैं । परमपिता परमेश्वर में लीन आपकी दिव्य आत्मा की हमारे जीवन पर अंकित अमिट छाप हमें सदैव सेवा  , स्नेह एवं उदारता से जीने को प्रेरित करता हैं । हमारे जीवन में आपके जाने से उत्पन्न शून्यता कभी नहीं भूल सकतें है ।  यादों में हर पल जीते रहेंगे आप । हमारे प्रेरणास्रोत बनें रहेंगे आप । उन्होंने अनुशासित  , आदर्शवादी  , संघर्षशील साहित्यकार के रूप में अपनी पहचान कायम करते हुए जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किये  समाज को उनकी कमी हमेशा खलती रहेंगी । आपके निधन से साहित्य जगत व पत्रकारिता के क्षेत्र को अपूर्णीय क्षति हुई है पत्रकारिता के क्षेत्र में दिया हुआ आपका योगदान सदा अविस्मरणीय रहेंगा । ऐसे कर्मनिष्ठ , सेवाभावी एवं आध्यात्मिकता के प्रतीक पुरूष को शत् शत् नमन्  ।

जिंदगी के अंधेरों में वह जलती मशाल थे ।

मुसीबतों से बचने को वह समाज की ढाल थे ।

वे त्याग की एक मिशाल थे ।

✍️सुनील कुमार माथुर ,जोधपुर

 


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