उज्जैन के डॉ. देवेन्द्र जोशी ने लिखी रोबोटिज्म के अजब-गजब किस्सों पर किताब
उज्जैन। 'आज का युग तकनीक का युग है। पहले जो काम मानव मस्तिष्क करता था, वही अब मशीनें करने लगी है। इसी का नाम है कृत्रिम बुद्धमता, होशियार बुद्धि या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस। इस विषय पर हिंदी में मौलिक पुस्तक का सर्वथा अभाव था। जिसकी कमी की पूर्ति की है उज्जैन के लेखक पत्रकार डॉ. देवेन्द्र जोशी ने अपनी पुस्तक अजब-गजब के किस्से में। यह पुस्तक विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि इससे पहले पाठयक्रम में शामिल होने के बावजूद भी इस विषय की सामग्री के लिए उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता था।
उक्त विचार मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में अतिथियों ने व्यक्त किए। कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास नईदिल्ली के संपादक डॉ. लालित ललित और सारस्वत अतिथि इंडिया नेटबुक पब्लिकेशन के प्रकाशक डॉ. संजीव कुमार, विशेष अतिथि रणविजय राव नईदिल्ली थे। अध्यक्षता डॉ. हरिमोहन बुधौलिया ने की। पुस्तक की समीक्षा करते हुए डॉ. हरीश कुमार सिंह ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर हिंदी में लिखी यह पहली पुस्तक है, जो नए विषय पर अनेक महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है। निखिल प्रकाशन आगरा से प्रकाशित पुस्तक की चर्चा करते हुए दूसरे समीक्षक विवेक रंजन श्रीवास्तव जबलपुर ने कहा कि 25 अध्याय की इस पुस्तक में बुद्धिमता के प्रकार, सांप्रदायिकता से लडऩे को तैयार कृत्रिम बुद्धिमता, खेलों और लड़ाईयों में रोबोट के उपयोग जैसे अनेक बिंदुओं पर यह पुस्तक जानकारी देती है। आरंभ में सरस्वती वंदना श्रीमती सीमा जोशी ने प्रस्तुत की। स्वागत शिवम शुक्ला ने किया। सुरेश नागर डॉ. रफीक नागौरी, डॉ. राजेश रावल ने अपनी रचनाएं सुनाई। संचालन डॉ. देवेन्द्र जोशी ने किया। आभार संदीप सृजन ने माना।
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