✍️नवीन माथुर पंचोली
वही इंसान तो अक्सर सही मंजिल नहीं पाता।
जो सच्ची राह पर अपनी कभी चलकर नहीं जाता।
सभी मुश्किल उसे इस राह की हैरान करती है,
कभी जो हौसला अपना यहाँ लेकर नहीं आता।
वो बातें हैं यहाँ उसके लिए इक फ़लसफ़े जैसी,
हक़ीक़त में जिन्हें अपने अमल में जो नहीं लाता।
निभाते हैं सभी उसकी रिवायत को शराफ़त से,
बना रहता है जब उसका सभी से कुछ न कुछ नाता।
कभी वो ख्वाहिशें उसकी यहाँ पूरी नहीं होती,
कि जिसको ये नहीं भाता कि जिसको वो नहीं भाता।
*अमझेरा धार मप्र
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