✍️अरशद रसूल
सांप भी अब यहां मुंह छुपाने लगे
आदमी आदमी को सताने लगे
दुश्मनी पर तुले आज भाई यहां
आप कैसा यह भारत बनाने लगे
हम कभी आपसे रूठते ही नहीं
आप क्यों आज हमको मनाने लगे
चैन से रोटियां आज मिलने लगी
सर वही लोग देखो उठाने लगे
कागजी नाव गर पार हो भी गई
शोर कितना यह सागर मचाने लगे
जब तसव्वुर लिए आपका सो गए
ख्वाब जो भी दिखे सब सुहाने लगे
आपको देखकर गैर के साथ में
होश 'अरशद' के सारे ठिकाने लगे
*बदायूं
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