Subscribe Us

प्लास्टिक को त्यागें


✍️प्रो.शरद नारायण खरे
अपनी ही करनी का फल तू,भुगत रहा इनसान
तूने आज स्वयं का देखो कर डाला अवसान
तूने खोजित किया प्लास्टिक,हर कामों में साधा
इसीलिए यह फैल रही है शुद्ध हवा में बाधा
आज करोना लेकर आया,मौत की काली छाया
लिपटी हुई आज प्लास्टिक में,मानव की तो काया।

मानव तू सचमुच अविवेकी,पैर कुल्हाड़ी मारी
तेरी करनी से प्रकृति भी,आज दिख रही हारी
जगह-जगह पन्नी-थैली के,ढेर लगे हैं देखो
अपनों कामों को मानव तू,आज स्वयं ही लेखो
आज इसी प्लास्टिक के कारण,दिन में हुआ उजाला
मानव तूने निज हाथों ख़ुद,कर डाला मुँह काला।

कोरोना उत्पात मचाये,हर इक आतंकित है
देख प्लास्टिक प्रेम हमारा,धरती भी क्रोधित है
क़ुदरत ने यूँ खेल दिखाया,मौत न छोड़े सब को
देह ढँके फिरते हैं सारे,प्लास्टिक से ही अब तो
वक़्त कह रहा,थैले कपडे़ के हम सब अपनाएँ
काँच शीशियाँ,काग़ज़ पैकिंग,के पथ हम फिर जाएँ ।

आओ हम निज करनी को अब,नवल चेतना दे दें
सोचें-समझें,और विचारें,नवल जागरण दे दें
वरना मिट जाएँगे हम सब,काल करे फरियादें
करें और ना आज नष्ट हम,जीवन की बुनियादें
किया जो हमने भुगत रहे हम,अब तो हम सब जागें
बहुत हो चुका,प्लास्टिक से अब, दूर सभी हम भागें।

*मंडला(मप्र)


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब हमारे वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ