✍️डा. केवलकृष्ण पाठक
नारी- नर की प्रेरणा ,नारी नर की शान
पति-पत्नी के रूप में ,दोनों एक समान
दोनों एक समान, परस्पर प्रेम-भाव हो
सद्व्यवहार अतिथि सेवा का,मन में चाव हो
पाठक जग में उनको, मिले प्रतिष्ठा भरी
गृहस्थी जीवन सुखमय, जो जीते नर नारी
नारी शत्रु है नारी की,ले रूप सास का धार
करती प्यार है पुत्री को,बहु को दे फटकार
बहु को दे फटकार,पुत्र पर भी क्रोधित हो
कहती है बहु को मर, तुम यदि मेरे बेटे हो
पाठक जुल्म को सहन, करे है बहु बेचारी
लांछन,गलियां सहती है माँ की लाड़ दुलारी
बहु को पुत्री जान,सास जो प्यार है करती
गलती हो जो बहु से,तो फिर माफ़ है करती
तो फिर माफ़ है करती,बहु करे सास की सेवा
सास की मिले आशीष,मिले सेवा का मेवा
पाठक यदि सास बहु का हो परस्पर प्यार
पति पत्नी भी खुश रहें और सुखी रहे परिवार
*जींद (हरियाणा)
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ