✍️अजय कुमार द्विवेदी
आखों में मेरे आंसू थे मगर मैं रोया नहीं।
मुख से तेरे चुंबन के दाग को धोया नहीं।
लाखों सपनें सजा लिए तूने अपनी आखों में।
पर मेरी आखों ने कभी सपना कोई सजोया नहीं।
तू छोड़कर जबसे गई मैं क्या बताऊँ हाल को।
मैं किसी के सपनों में आज तक खोया नहीं।
बरसों गुजर गये मेरे तुझ संग बिछड़े हुए।
एक अरसा हो गया मैं रात में सोया नहीं।
ऐसा कोई दिन नहीं मुझे याद तू न आई हो।
पर तूने मुझको खो दिया मैंने तुझे खोया नहीं।
*सोनिया विहार दिल्ली
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