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इंटरनेट और सोशल मीडिया पर हिन्दी भाषा का बढ़ता प्रयोग



✍️सरिता सुराणा

एक समय ऐसा था जब सिर्फ अंग्रेजी भाषा जानने वाले लोग ही कम्प्यूटर और इंटरनेट का प्रयोग कर सकते थे और अन्य भाषा भाषी लोगों के लिए यह वर्जनीय क्षेत्र था लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे इंटरनेट का प्रयोग बढ़ता गया, वैसे-वैसे उसमें हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग भी बढ़ता गया। उसी का परिणाम है कि अंग्रेजी अब हमारे देश में इंटरनेट पर इस्‍तेमाल की जाने वाली शीर्ष भाषा नहीं रह गई है। हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं के बढ़ते प्रभाव ने इसे पीछे छोड़ दिया है और आने वाले समय में इन भाषाओं का प्रभाव क्षेत्र और अधिक बढ़ने की उम्‍मीद है। यूथ4वर्क के एक सर्वे के अनुसार देश में शहर से लेकर गांवों तक इंटरनेट पर हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं का इस्‍तेमाल लगातार बढ़ रहा है। यह सर्वे भारत में इंटरनेट पर भाषाओं के इस्तेमाल को लेकर किया गया था। इस सर्वे में महानगरों के अलावा छोटे शहरों के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को भी शामिल किया गया था। इसके अनुसार इंटरनेट पर हिन्दी का प्रयोग सबसे ज्यादा 51 प्रतिशत होता है। उसके बाद क्षेत्रीय भाषाओं में कन्नड़, मराठी और बांग्ला भाषा का प्रयोग सबसे अधिक किया जा रहा है।

 

देश के जिन राज्‍यों में हिन्दी भाषा चलन में नहीं है, वहां उसके स्‍थान पर उस भाषा का इस्‍तेमाल अधिक होता है, जो वहां की क्षेत्रीय भाषाएं हैं। इस मामले में दक्षिण भारत के राज्‍य कर्नाटक की क्षेत्रीय भाषा कन्‍नड़ शीर्ष स्थान पर है, जिसका इस्‍तेमाल इंटरनेट पर करीब 45 प्रतिशत होता है। वहीं महाराष्‍ट्र में मराठी का इस्‍तेमाल सबसे अधिक होता है, वहां पर इंटरनेट पर करीब 45 फीसदी लोग मराठी का इस्‍तेमाल करते हैं। क्षेत्रीय भाषाओं के मामले में बांग्‍ला भाषा का भी दबदबा है, जिसका इस्‍तेमाल साइबरस्‍पेस में करीब 34 प्रतिशत होता है। हालांकि ऐसे राज्‍यों में हिन्दी भाषा थोड़ी पीछे है, जहां क्षेत्रीय भाषाएं अधिक बोली और समझी जाती हैं, पर इन राज्‍यों में भी इंटरनेट पर हिन्दी का इस्‍तेमाल 20 प्रतिशत लोग करते हैं।

 

अब इंटरनेट यूजर्स नेट सर्फिंग और अन्‍य गतिविधियों के लिए अंग्रेजी के मुकाबले हिन्दी या क्षेत्रीय भाषाओं का इस्‍तेमाल अधिक करते हैं। इंटरनेट पर क्षेत्रीय भाषाओं में सबसे अधिक लोग समाचारों से जुड़ी सामग्रियां पढ़ते या तलाशते हैं। हालांकि क्षेत्रीय भाषाओं में इंटरनेट पर सामग्रियों की अनुपलब्‍धता कभी-कभी उनके लिए परेशानी का कारण भी बनती है लेकिन वे इससे हार नहीं मानते हैं। यह समस्‍या शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में अधिक है।

 

94 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है हिन्दी 

गूगल-केपीएमजी रिसर्च, सेंसस इंडिया और आईआरएस की सर्वे रिपोर्ट पर गौर करें तो हम पाएंगे कि वर्ष 2021 में  इंटरनेट में हिन्दी भाषा का प्रयोग करने वाले अंग्रेजी में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से अधिक हो जाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक 20.1 करोड़ लोग हिन्दी का उपयोग करने लगेंगे। गूगल के अनुसार हिन्दी में विभिन्न विषयों की सामग्री पढ़ने वाले हर वर्ष 94 प्रतिशत की दर से  बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी में यह दर 17 प्रतिशत ही है।

अमेजन इंडिया ने भी अपने उपभोक्ताओं की संख्या और उनके हिन्दी भाषा के प्रयोग को ध्यान में रखते हुए अपना एप हिन्दी में लॉन्च किया है। ओएलएक्स, क्विकर जैसे प्लेटफॉर्म पहले ही हिन्दी में उपलब्ध हैं। स्नैपडील भी हिन्दी में आ चुका है। 2021 तक 8.1 करोड़ लोग डिजिटल पेमेंट के लिए हिन्दी का उपयोग करने लगेंगे, जबकि 2019 में यह संख्या 2.2 करोड़ थी। सरकारी कामकाज के लिए 2016 तक 2.4 करोड़ लोग हिन्दी भाषा का इस्तेमाल करते थे, जो 2021 में 9.4 करोड़ हो जाएंगे। 2019 में डिजिटल माध्यम में हिन्दी समाचार पढ़ने वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है।

 

सस्ते स्मार्टफोन और ब्राॅडबैंड की उपलब्धता

दरअसल बाजार में सस्ते स्मार्टफोन, सस्ते 3G और 4G कनेक्शन ने देश में इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया है। हाइस्पीड इंटरनेट की उपलब्धता अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं रह गई है, जिससे इंटरनेट का इस्‍तेमाल बढ़ा है और ऑनलाइन कंटेंट की खपत में व्यापक बदलाव आया है। भारत में इंटरनेट पर आधे से अधिक उपभोक्ता गैर-अंग्रेजी भाषी हैं और इसीलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि  वर्ष 2021 तक यहां इंटरनेट पर हिन्दी और अन्‍य क्षेत्रीय भाषाओं का इस्‍तेमाल करीब 75 फीसदी लोग करने लग जाएंगे।

 

सोशल मीडिया पर हिन्दी का बढ़ता प्रयोग

कुछ समय पूर्व सोशल मीडिया पर ज्यादातर अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग होता था और यह हिन्दी भाषियों के लिए एक समस्या थी कि अपनी बात को अपनी भाषा में कैसे लिखा जाए?  लेकिन अब बदलते वक्त के साथ-साथ हिन्दी भाषा ने सोशल मीडिया के मंचों पर दस्तक देकर अपनी विशेष पहचान बनाई है। सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग अब हिन्दी भाषा का प्रयोग बड़े गर्व के साथ करते हैं। यह प्रयोग उन लोगों के लिए भीड़ से अलग दिखने का एक बेहद आकर्षक तरीका भी साबित हुआ है। जहां फेसबुक या ट्व‍िटर पर अंग्रेजी में लिखे गए पोस्ट और कमेंट्स की भीड़ में हिन्दी में लिखी गई पोस्ट या फिर कमेंट प्रयोगकर्ताओं को ज्यादा जल्दी आकर्ष‍ित करता है, साथ ही हिन्दी भाषा का समृद्ध एवं अलंकृत होना, किसी भी प्रस्तुति को स्वत: ही महत्वपूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होता है। न केवल फेसबुक या ट्विटर बल्कि अब व्हाट्स एप और टेक्स्ट मैसेज को भी सार्थक बनाने और मैसेज की ओर ध्यान आकर्ष‍ित करने के लिए विभिन्न कंपनियां भी हिन्दी भाषा का सहारा ले रही हैं। वे जानती हैं कि हिन्दी भाषा का विस्तार काफी अधिक है और अगर उन्हें भी खुद को दूर तक स्थापित करना है तो वही भाषा चुननी होगी, जिसके प्रति पाठक या ग्रा‍हक सहज और पारिवाहिक महसूस करता हो। इसके लिए हिन्दी से अच्छा विकल्प और कोई हो ही नहीं सकता। 

 

यूट्यूब चैनल के लाखों सब्स्क्राइबर

यूट्यूब चैनल भी गूगल का ही एक टूल है। इसे जबसे गूगल ने खरीदा है, तबसे ही इसके यूजर्स की संख्या करोड़ों में पहुंच गई है। टाॅप दस यूट्यूब चैनल में भारत का टी-सीरीज नंबर वन चैनल है, इसके साथ ही सैट इंडिया भी अच्छी पकड़ बना रहा है। आज प्रतिदिन लाखों वीडियो हिन्दी भाषा में अपलोड किए जाते हैं और उनके करोड़ों सब्स्क्राइबर्स हैं। आज आपको खान-पान से लेकर ज्वेलरी तक, शिक्षा से लेकर टेक्नोलॉजी तक, जिस किसी के बारे में जानकारी हासिल करनी हो तो हिन्दी भाषा में एक ही विषय के सैंकड़ों वीडियो मिल जाएंगे। यह इस बात का प्रमाण है कि हिन्दी भाषा के माध्यम से सामग्री की खोज अब बहुतायत में उपलब्ध है। युवाओं में हिन्दी सीखने, बोलने और लिखने का अभ्यास बढ़ रहा है। हां, कहीं-कहीं हमें ये भी देखने को मिलता है कि वे हिन्दी भाषा को देवनागरी लिपि की जगह रोमन लिपि में लिख रहे हैं। फिर भी जिस गति से हिन्दी भाषा का प्रयोग बढ़ रहा है, उसे देखकर लगता है कि हिन्दी ही हमारी राष्ट्रभाषा बनेगी और विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में अपना नंबर वन का स्थान बना पाएगी।

 

हिन्दी भाषा में ब्लाॅग लेखन

सोशल मीडिया पर हिन्दी भाषा को और भी विस्तारित करने का कार्य किया है ब्लॉगर्स ने। 2003 में लिखे गए पहले हिन्दी ब्लॉग के बाद से ही हिन्दी ब्लॉगर्स की संख्या लगातार बढ़ी है। हिन्दी ब्लॉगिंग के जरिए ऐसे लोगों को विचारों की अभिव्यक्ति का बेहतरीन मंच मिला, जिनके लिए भाषा की रूकावट थी।हिन्दी भाषा को सोशल मीडिया पर हाथों हाथ लिए जाने का एक कारण यह भी है कि हिन्दी भाषा अभिव्यक्ति का एक बेहतरीन माध्यम है। इसके भावों को समझने में असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता और लिखी गई बात पाठक तक उसी भाव में पहुंचती है, जिस भाव के साथ उसे लिखा गया है। हिन्दी के तीव्र विस्तार का ग्राफ सोशल मीडिया पर मौजूद हिन्दी प्रेमी वर्ग की ओर इशारा करता है, जो लगातार वृद्ध‍ि करता देखा जा सकता है। यह हिन्दी भाषा की सुगमता, सरलता और समृद्धता का ही कमाल है कि विश्व स्तर पर आज हिन्दी, सोशल मीडिया के मंच पर खुद को सुशोभित कर पाई है, और काफी पसंद की जा रही है। 

 

कुछ वर्ष पहले तक विश्व में 80 करोड़ लोग हिन्दी समझते थे, 50 करोड़ बोलते थे और 35 करोड़ लिखते थे, लेकिन सोशल मीडिया पर हिन्दी के बढ़ते इस्तेमाल के कारण अब अंग्रेजी उपयोगकर्ताओं में भी हिन्दी का आकर्षण बढ़ा है और इन आंकड़ों में भी तेजी से वृद्धि हुई है। वर्तमान में भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोगकर्ता है, जिसका श्रेय हिन्दी भाषा को ही जाता है। दरअसल भारत की आबादी का एक बड़ा भाग हिन्दी भाषा के प्रति सबसे अधिक सहज है और उसे सोशल मीडिया से जोड़ने में हिन्दी का सबसे बड़ा योगदान है।

 

*हैदराबाद (तेलंगाना)

 


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