✍️प्रेम बजाज
हिन्दी की बिंदी
सुन्दर लगती है
ज्यों सुहागिन के
माथे बिंदी सजती है।
अ, आ, अं और
क, ख, ग से सारे
शब्दों ने लिया जन्म है ,
हिन्दी का
अस्तित्व अद्भुत,
अजर और अमर है ।
हिन्दू- मुस्लिम ,
सिख - ईसाई
आपस में सब भाई - भाई ,
हिन्दी ने ये बात सिखाई ।
हिन्दी सब को मन से जोड़ती ,
हमें सभ्यता की ओर मोड़ती ।
हर हिन्दुस्तानी को प्यार हिंदी से ,
संस्कृति की पहचान हिंदी से ।
हर दिन, हर पल रहते हम
हिन्दी से दूर ,
विदेशी भाषाएं बोल-बोल कर
उच्च साबित करते हैं ,
हिंदी में ना बात करके
हिंदी को अपमानित करते हैं ।
हिन्दी की बहना उर्दू ने
हमको शायरी सिखाई है ,
फिर कैसे कह दे
हम हिन्दी अपनी नहीं पराई है ।
हिन्दी बोलने - पढ़ने से
भला क्यों आती हमको शर्म है ,
हिन्दू संस्कृति ही
सबसे बड़ा धर्म है ।
मातृभाषा यही है ,
राष्ट्र भाषा यही है ,
कैसे ना हम इसका मान करें
आओ मिल कर सब
हिंदी का उत्थान करें ।
एक दिन हिंदी दिवस मना कर
तीर क्या कोई मार पाएगा ,
जो है सच्चा हिन्दू वो
सदा ही हिंदी के गुण गाएगा ।
सम्मानित करो राष्ट्र भाषा
हम सब की यही अभिलाषा
*जगाधरी (यमुनानगर)
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