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हाल,वक़्त की हर तैयारी रखते हैं



✍️नवीन माथुर पंचोली

हाल,वक़्त की हर तैयारी रखते हैं।

लोग वही जो ज़िम्मेदारी रखते हैं।

 

रस्ता,दूरी ,मुश्किल,मंज़िल सोच-समझ,

साथ सफ़र के वो हुशियारी रखते हैं।

 

सुनकर,पढ़कर लोग उन्हें समझें-बूझें,

बातें  ऐसी  अपनी  सारी रखते हैं।

 

आते-जाते जीवन के जितने लम्हें,

यादें  उनकी  मीठी-खारी रखते हैं।

 

काम कोई, कब आ जाये तंग मौके पर,

सबसे अपनी दुनियादारी रखते हैं।

 

कहते  तो  हैं वो सब  अपने मन की,

लेक़िन जैसे  बात हमारी रखते हैं।

 

*अमझेरा धार मप्र

 


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