✍️आशीष तिवारी निर्मल
दिन हो चाहे रात, तुम साथ रहना
बिगड़े कोई बात, तुम साथ रहना!
जिंदगी की डोर है अब तेरे ही हाथ
समझ मेरे जज्बात,तुम साथ रहना!
दूरियों के दिन भी जैसे-तैसे गुजरेंगे
रंग लाएगी मुलाकात,तुम साथ रहना!
हमारा मिलना भी अखरेगा कुछ को
उठते रहेंगे सवालात,तुम साथ रहना!
हर पल खड़ा मिलूंगा मैं तुम्हारे साथ
चाहे जो हो हालात, तुम साथ रहना!
*लालगांव जिला रीवा
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