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स्वतन्त्रता - मुक्तकत्रय 




✍️डॉ.अनिता जैन 'विपुला

 

ऋषि मुनियों की वाणी से महकती मेरी माटी चन्दन है।

राम-कृष्ण-महावीर-बुद्ध करते जिसका  अभिनन्दन है।

त्याग,तपस्या,सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा का धर्म विराजे, 

ऐसी पवित्र मातृभूमि भारत का हृदय से वन्दन है!!

 

आओ आज़ादी का जश्न मनाएं 

खुलकर सांस ले उन्मुक्त हवाएं 

अहसास अपने होने का यूँ जियें

स्व चेतन का परम आनंद पा जाएँ  |

 

मिली देश की आज़ादी का मान रखेंगे।

इसकी खातिर हथेली पर जान रखेंगे। 

हाज़िर सब कुछ मेरे वतन की खातिर,

वीर शहीदों की आन-बान-शान रखेंगे!!

*उदयपुर

 


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