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पंद्रह देशों के कवियों द्वारा एक मंच पर मनाया गया भारत का स्वतंत्रता दिवस




लंदन। स्वतंत्रता दिवस के पावन उपलक्ष्य में वातायन-यूके, वैश्विक हिंदी परिवार और यूके हिंदी समिति द्वारा एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का जूम के वर्चुअल पटल पर आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के उपाध्यक्ष श्री अनिल जोशी जी की गरिमामयी उपस्थिती रही एवं कवि सम्मलेन की अध्यक्षता की भारत के वरिष्ठ कवि श्री कुंवर बेचैन जी ने।


श्री अनिल जोशी जी ने प्रवासी भाव पर अपनी कविता 'नींद कहाँ है' की सशक्त प्रस्तुति के साथ स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित वैश्विक कवि सम्मलेन की परिकल्पना को अद्भुत आयोजन बताया। अनिल जी ने वातायन की संस्थापिका तथा आयोजन की संयोजिका, ब्रिटेन की वरिष्ठ साहित्यकार सुश्री दिव्या माथुर तथा उनके सहयोगियों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हए कहा कि 'इस आयोजन में प्रवासी कविताओं का अत्यंत सुन्दर प्रतिनिधत्व देखने को मिलाइस अवसर पर अनिल जी ने भारत के तीन श्रेष्ठ रचनाकारों, भारत के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' जी, राम दरश मिश्र एवं नरेश शांडिल्य जी को उनके जन्मदिन की बधाई भी दी।


सम्मलेन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि श्री कुँवर बेचैन ने सभी कवियों की प्रस्तुति को सराहते हुए कहा कि विश्व के अनेक देशों के सभी प्रतिनिधियों की रचनाओं में भारत की मिट्टी की महक देखने को मिली और उनके अनुसार भारत का नागरिक जहाँ भी जाता है, भारत की महक उसके साथ रहती है। कुँवर जी ने सभी प्रवासी भारतीयों को सम्बोधित करते हुए शेर कहा 'उस पेड़ से उस पेड़ तक उड़ना पड़ा तो क्या, चिड़ियों ने अपनी बोलियां बदली नहीं कभी'। साथ ही कुंवर जी ने अपनी कुछ उत्कृष्ट रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया


कार्यक्रम के संचालन का दायित्व हिंदी समिति के संस्थापक और प्रतिष्ठित कवि डॉ पद्मश गुप्त ने ऑक्सफ़ोर्ड से अत्यंत कुशलता पूर्वक किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ डॉ निखिल कौशिक जी की सुरीली वंदनाओं - वन्दे मातरम, और स्वर्गीय डॉ सिंघवी जी द्वारा लिखित बोध-गीत 'कोटि कोटि कंठों की भाषा' के सुस्वर पाठ से। पद्मेश जी ने भारत के प्रतिष्ठित कवियों के साथ-साथ कुछ स्थानीय कवियों की रचनाओं की कुछ पंक्तियों से अंतर्राष्ट्रीय कवियों को पाठ के लिए आमंत्रित किया। अपने स्वागत वक्तव्य में पद्मश जी ने भारत के स्वतंत्रता दिवस पर सबको बधाई देते हुए कहा कि 'भारत हमारे लिए सिर्फ एक भौगोलिक सरहदो के बीच बसा एक देश ही नहीं है, अपितु हमारी पहचान है, हमारी अस्मिता है हमारा गर्व है!' साथ ही 'दोहरिकता नागरिकता' पर भगवान कृष्ण को प्रतीक बना कर 'एक नए स्वप्न में जी रहे हैं आज कृष्ण' का सुन्दर पाठ किया


इस आयोजन को ब्रिटेन में भारतीय मूल्य के सांसद श्री वीरेंदर शर्मा, भारत के लब्धप्रतिष्ठ लेखक श्री हरीश नवल, श्री सुमन घई आदि के साथ देश विदेश के अनेक प्रतिष्ठित हिंदी लेखकों तथा हिंदी प्रेमियों ने भाग लिया। इस अवसर पर विश्व के करीब पंद्रह देशो से प्रतिनिधित्व किया डॉ पुष्पिता (नीदरलैंड्स), पूर्णिमा वर्मन (यूएई), डॉ मक्सीम देमचेस्को (रूस), डॉ मोना कौशिक (बुल्गारिया), रोहित कुमार हैप्पी (न्यूजीलैंड), डॉ शैलजा सक्सेना (कनाडा), चाँद शुक्ला हैदराबादी (डेनमार्क), रेखा राजवंशी (ऑस्ट्रेलिया), आशा मोर (ट्रिनिडैड और टोबैगो), आराधना श्रीवास्तव (सिंगापुर), डॉ अनीता शर्मा (चीन), मनीषा कांथालिया (केन्या-अफ्रीका) और डॉ निखिल कौशिक (यूके) ने। देशप्रेम से ओतप्रोत सुन्दर रचनाओं की प्रस्तुति यही पुष्ट करती है कि हम भारतीय कहीं भी रहें, हमारे हृदयों में भारत सदा फलता फूलता रहता है। चीन से डॉ अनीता शर्मा की रचना, 'मिट्टी भी मिट्टी में घुलके / रंग अजब दिखलाती है देह से अब मेरी धरती की अब महक रेशमी आती है, ट्रिनिडाड टोबेगो से आशा मोर की 'ऐसा पन्द्रह अगस्त सालों बाद आया है जो साथ अपने राम मंदिर की सौगात लाया है', नैरोबीकेन्या से मनीषा कंठालिया की 'भोजपत्रों पर शपथ लेकर तुम्हें सच कह रही हूँ तुम रहो या ना रहो मन से तुम्हें वर चुन लिया है', रूस से डॉ मक्सीम देम्चेन्को (रामचंद्र) का गीत, 'एक दिन हमारी अयोध्या नगरी में क्रूर बाबर आया उसने हमारे मनोहर घर को नष्ट कर दिया,' डॉ पूर्णिमा वर्मन का 'हवा में गंध है जिसकी / मधुर मकरंद है जिसकी / जो साँसों में बसे हरदम वही तो देश मेरा है,' न्यूज़ीलैंड रोहित कुमार 'हैप्पी' की 'भोग रहे जो आज आज़ादी / किसने तुम्हें दिलाई थी / चूमे थे फाँसी के फंदे / किसने गोली खाई थी,' कैनेडा से डॉ शैलजा सक्सेना की 'मैं कहीं भी रहूँ पर तेरे पास हूँ आदि से अंत तक बस तेरी श्वास हूँ मौन हूँ तो हंकार भी देश की भक्ति-शक्ति लिए एक संन्यास हूँ और ऑस्ट्रेलिया से रेखा राजवंशी की रचना 'कहानी की परी जब-जब छड़ी अपनी घुमाती है तो मेरे वतन की वो कितनी यादें साथ लाती है।' अंत में अनिल जी के अनुरोध पर डॉ निखिल कौशिक ने अपनी कविता 'भारत' का पाठ किया


कार्यक्रम का औपचारिक धन्यवाद वातायन की अध्यक्ष श्रीमती मीरा कौशिक ने किया। मोना जी ने दिव्या माथुर, पमेश गुप्त, शिखा वार्ष्णेय, अन्तरीपा मुकर्जी समेत सभी आयोजकों के प्रति अपना आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का समापन भारत के राष्ट्र गान से हुआ। वातायन केअगले कुछ कार्यक्रमों में सम्मिलित हैं : 22 अगस्त: मशहूर हिंदी ब्रॉडकास्टर, टीवी कलाकार, अभिनेता, शानदार स्टेज-मेज़बान, गायक और हरदिल अजीज़ रवि शर्मा जी से गीता शर्मा का संवाद, 29 अगस्त: डॉ चित्रा मुद्गल और डॉ अचला शर्मा के बीच में संवाद, 5 सितम्बर: स्थानीय कवि डॉ वंदना मुकेश और श्री नरिंदर ग्रोवर, 12 सितम्बर: ममता कालिया जी से संवाद करेंगी डॉ शैलजा सक्सेना, 19 सितम्बर: उषा वर्मा द्वारा सम्पादित एवं सहलिखित उपन्यास, मॉम, डैड, और मैं, पर चर्चा, 26 सितम्बर: डॉ अशोक चक्रधर और अनूप भार्गव में संवाद।


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