✍️आशीष तिवारी निर्मल
पलकों से यूँ बरसते रहे मेरे आँसू
सुर्ख होठों पर गिरते रहे मेरे आँसू।
कोमल नयनों से निकल के निर्मल
मेरे गालों पे ठिठकते रहे मेरे आँसू।
वादा था जिसका,सिर्फ हंसाने का
उसके लिए ही बहते रहे मेरे आँसू।
वो है मुझसे कोसों मील की दूरी पे
विरह में बूँद-बूँद झरते रहे मेरे आँसू।
साथ भले उसने छोड़ दिया हो मेरा
हर पल मेरे संग रहते रहे मेरे आँसू।
दिल टूटा और आवाज भी ना आई
जज्बातों में पिघलते रहे मेरे आँसू।
*लालगांव , जिला रीवा
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