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मैं शहर वो, सदियों से जो सोया ही नहीं



✍️नमिता गुप्ता 'मनसी'

 


दिल हूं, धडकता भी हूं, पर सांसें क्यों गुम हैं

मैं वो शहर हूं, सदियों से जो सोया ही नहीं !!

 

रुको,क्यों बदनाम कर रहे हो उनकी बातों को

मैं वो आईना हूं, देखकर भी बोला ही नहीं!!

 

गुजर जातें हैं लोग, यूं ही मंजिलों की तरफ

मैं सड़क वो, न पाया कुछ, खोया भी नहीं!!

 

मत करो बात तुम भी, इतना अजनबी होकर

सुनोगे एक दिन, अभी तक भी बोला जो नहीं!!

 

*मेरठ

 


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