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हम जश्न मनाएं




✍️अशोक 'आनन'

 

पूर्ण हुए संकल्पों का -

आओ , मिलकर  हम  जश्न मनाएं ।

 

आगत का स्वागत कर -

आज  हम  नए  संकल्प लें ।

मानव - सेवा  के   हम -

एक नहीं , कई विकल्प लें ।

 

नंगा रहे , न कोई भूख़ा सोए -

आओ   ,    ऐसा    देश     बनाएं ।

 

बीत गया सो बीत गया -

उसकी  यादों  में  न खोएं ।

हर चेहरे पर हों मुस्कानें -

कोई ज़रा भी अब न रोए ।

 

खुशियों के हम तोहफ़े देकर -

दु: ख  को  घर  से  बाहर  भगाएं ।

 

भूख़ पेट में फिर न पनपे -

कंठ किसी का हो न सूखा ।

दिल किसी के प्रति हमारा -

पत्थर  जैसा  हो  न रूखा ।

 

दरवाजों पर न तम पसरा हो -

आओ , उन पर फिर दीप जलाएं ।

 

संबंध , संबोधन  हों  न  जाएं -

अपनेपन की उनको थपकी दें ।

रिश्तों की सूख चुकी दूबों को -

हम प्यार की फुहारें अबकी दें ।

 

नेह की लय में गीत पिरोकर -

सुर - ताल    की    गंग    बहाएं ।

 

*मक्सी ,जिला - शाजापुर ( म.प्र.)

 


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