✍️सुषमा दीक्षित शुक्ला
ये भावना के पुष्प सादर ,
प्रभु समर्पित है तुम्हें।
प्रेम धागे में पिरो कर ,
कर रही अर्पित तुम्हें ।
है कामना अब तो प्रभू ,
कोई ना हमसे भूल हो।
अब प्रेम की गंगा बहे ,
ना नफरतों के शूल हों।
ये कठिन जीवन अग्निपथ,
ना भटक जाऊँ ज्ञान दो ।
बस नेक रस्तों पर चलूँ ,
हरदम तुम्हारा ध्यान हो ।
हम तुम्हारे शिशु प्रभू,
तुम पिता अरु मातु हो ।
बालक अगर कपूत है ,
माता नही कुमातु हो ।
सुन हे! प्रभु परमात्मा ,
तुमसे मेरी याचना ।
निज प्यार से मत दूर कर ,
तेरी शरण की कामना।
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ