✍️हमीद कानपुरी
अपमान हो रहा हो उस ओर यदि किसी का।
इस ओर चल के आओ सम्मान है सभी का।
बेरोज़गार बच्चे मायूस जिन्दगी से,
उनको पता नहीं है मकसद ही ज़िन्दगी का।
कंगाल कर चुका है कोरोना काल सब को,
जिस ओर देखता हूँ आलम है मुफलिसी का।
किस ओर चलपड़े कब ये दौर कुछ अजब है,
कुछ भी पता नहीं है इस वक्त आदमी का।
वो इश्क़ बेधड़क हो करते फिरें सभी से,
जो जानते नहीं हैं मतलब ही आशिक़ी का।
*कानपुर(उ.प्र)
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