✍️डॉ रघुनाथ मिश्र 'सहज'
आया राखी का त्यौहार।
लेकर खुशियों की बौछार।
राखी में है प्यार भरा।
भाई का आभार भरा।
धागा है जिम्मेदारी,
जीवन का आधार भरा।
राखी से भवसागर पार।
आया राखी का त्यौहार।।
बहन बिना भाई उदास।
राखी बिन गायब उजास।
घर सूना - सूना लगता,
दिल विह्वल न हर्षोल्लास।
राखी से मिलता आकार।
आया राखी का त्यौहार।।
रक्षा सूत्र कलाई में।
भैया की भलाई में।
है यह सार्वभौमिक सत्य,
जीवन की पढ़ाई में।
'सहज' बहन होती औतार।
आया राखी का त्यौहार।।
*कोटा(राजस्थान)
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