✍️आयुष गुप्ता
ज़िन्दगी उसी से बस खुशगवार थोड़ी हैं
प्यार हैं मुझे लेकिन बेशुमार थोड़ी हैं
हाँ, कहा मिलेंगे फिर बिछड़ते समय उसने
बात पर मुझे उसकी एतबार थोड़ी हैं
नींद रात में, दिन में चैन हैं मगर फिर भी
साथ था तिरे जो वैसा करार थोड़ी हैं
कुछ उदास तो हूँ मैं भी अभी तलक लेकिन
शक्ल पर सनम की भी अब ख़ुमार थोड़ी हैं
फूल आ गए हैं कुछ डाल पर अभी
दौर-ए-खिजाँ हैं कोई बहार थोड़ी हैं
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