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पावस की शालाएं 



*अशोक ' आनन ' 


बूॅंदों  के  बस्ते  लेकर -

घर से निकले बादल ।

 

पावस  की  फ़िर -

खुल गईं शालाएं ।

गणवेश   में    हैं -

बिजली- बालाएं ।

 

संभल सके न कीच में -

झट से फिसले बादल ।

 

मोर   ,    पपीहा -

झींगुर  ,  दादुर ।

शाला  आने  को -

दिखते   आतुर ।

 

तड़ी मारकर हफ़्तों गायब -

रहते   ,   पगले      बादल ।

 

पढ़ाई ज़रा भी न की इनने -

बज गई छुट्टी की घंटी ।

गिरते ,पड़ते चले ये नभ से -

सूखे  में  डूबे आकंठी ।

 

पानी  के न जाने कितने -

करते    घपले ,   बादल ।

 

*मक्सी, जिला - शाजापुर ( म.प्र.)

 


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