*अशोक 'आनन'
वृक्षों का कुंभ ।
कुंभ में -
मौन - साधक - से वृक्ष ।
कोई -
कांटों की शैया पर लेटा ।
तो कोई -
धूनी रमाकर बैठा ।
कोई -
एक पांव पर यहाॅं खड़ा ।
तो कोई -
नागा बाबा - सा ऐंठा ।
सर्दी , गर्मी या हो बारिश
कोई न लेता -
इनका पक्ष ।
कोई
वृक्ष है यदि जटाधारी ।
तो कोई -
स्वभाव से है कड़वा ।
कोई -
शहद - सा है मीठा - मीठा ।
तो कोई -
रत्न - सरीखा है जड़वा ।
कोई -
साधना में ध्यान मगन ।
तो कोई -
बूढ़ा अभी भी है जवां ।
पत्थर खाए युगों - युगों से
लोक हित ही -
इनका जीवन - लक्ष्य ।
*मक्सी जिला - शाजापुर ( म. प्र .)
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