*धर्मेन्द्र बंम
सत्य और अहिंसा की जो परछाई है
महाप्रज्ञ ! प्रज्ञता आपने पाई है ।
भेद जीवन विज्ञान का तुमने बताया
साधना प्रेक्षाध्यान की समझाई है ।
मार्ग व्यसन मुक्ति का हमें दिखलाया
अहिंसा यात्रा भी सुंदर सुखदाई है ।
निभाकर विश्व शांति में अहम भूमिका
शांति पुरस्कार की शोभा बढाई है ।
जन कल्याण के लिए की उग्र पदयात्रा
करुणा तुम्हारे रग रग में समाई है ।
वीर संदेशों को जन जन तक फैलाकर
धर्म पताका हरपल ही फहराई है ।
आगम मंथन करके ओ गुरुवर तुमने
जिन धर्म की शान खूब ही बढाई है ।
वर्ष जन्म शताब्दी के पावन प्रसंग पर
बंम की वन्दना तुमने महकाई है ।
*बिरलाग्राम, नागदा जंक्शन
जिला - उज्जैन ( म प्र )
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