*हमीद कानपुरी
लोग कल के बहुत बाखबर थे यहाँ।
हर जगह पर बहुत से शजर थे यहाँ।
आज तन्हा मुझे छोड़ कर क्यूँ गये,
लोगकल तक मेरे हमसफ़र थे यहाँ।
क्याभला उनपे जादू हुआ क्यापता,
छोड़कर सब गये जो इधर थे यहाँ।
जबथेसाधनविरल पासज़रभीनथा,
तब न मायूस इतने बशर थे यहाँ।
देख कर ग़मज़दा फेर लेते नज़र,
लोग इतने नहीं कम नज़र थे यहाँ।
*अब्दुल हमीद इदरीसी,कानपुर
अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.com
यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ