Subscribe Us

कुंडलिया छंद







✍️भानु प्रताप मौर्य 'अंश'


वृक्ष  हमें देते  सदा, हैं  छाया  फल  फूल।
मानव अपने स्वार्थ में,कृपा गया सब भूल।


कृपा गया सब भूल, पेड़ कितने उपकारी।
कर जड़ पाती दान, हरे  तन की बीमारी।।


मानव करने में सदा, कार्य बहुत  है दक्ष।
किन्तु धरा पर रोपता, कोई भी न  वृक्ष।।


****************************************


बादल  हैं  छाये  हुए, घिरी  घटा  घनघोर।
टर्र - टर्र   मेंढक  करें, नाच  रहे  हैं  मोर।।


नाच  रहे  हैं  मोर , बह  रही  तीव्र  पवन है।
हरे - भरे हैं खेत , हरा  सब  वन  उपवन है।।


कहे अंश कविराय,करो मन को भी शतदल।
बिन - बरसे मत कहीं, लौट जाना हे बादल।।



*निन्दूरा ,बाराबंकी उत्तर प्रदेश




 


अपने विचार/रचना आप भी हमें मेल कर सकते है- shabdpravah.ujjain@gmail.com पर।


साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल  शाश्वत सृजन पर देखेhttp://shashwatsrijan.com


यूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw 





एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ