✍️कल्पना गोयल,जयपुर
सच!उस पल मैं जी लेती हूँ
जीवन सार्थक कर लेती हूँ
दीदार कभी जब ना हो पाए
तब चिंतन तेरा कर लेती हूँ
सच!उस पल.....
बात वही जो मनचाही थी
तुमने जब भी ना मानी थी
छ़ोड सभी झूठे शिकवों को
पल भर में समझा लेती हूँ
सच!उस पल.....
रीत प्रीत की सबने जानी
अपनी सबसे परे कहानी
बस मैनें जानी,तुमने जानी
इतना ही सबसे कहती हूँ
सच!उस पल.....
राह कभी जब पथराई,तो
हौले कदम बढ़ाया मैनें
महक फूल की पाकर भी
काँटों संग मुस्का लेती हूँ
सच!उस पल.....
मंजिल को पाने की चाहत
रही सदा से मेरे दिल में
चीर पहाड़ों का दिल भी मैं
हवा पे पहरे रखती हूँ
सच!उस पल.....
पग पखारता सागर तो
लहरें कदम बढ़ाती हैं
सीप बूँद को मुँह खोले जब
मैं बात रेत से करती हूँ
सच!उस पल.....
प्रकृति ने जब ओढ़ी चूनर
नीली पीली लाल हरी
कलियों से ले रंग गुलाबी
मैं खुद को रंग लेती हूँ
सच! उस पल.....
जयपुर
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