✍️नवीन माथुर पंचोली
गये उनको ज़माना हो गया है।
ये तन्हा आशियाना हो गया है।
ये आँखे देखती है उस तरफ़ ही,
जहाँ उनका ठिकाना होगया है
उसे हम आज तक ओढ़े हुए हैं,
जो रिश्ता अब पुराना हो गया है।
जो पहले सब हमारी ओर से था,
वो अब उनका बहाना हो गया है।
वहाँ भी रोशनी कम हो चली है,
यहाँ भी टिमटिमाना हो गया है।
यूँ चहरे पर ख़ुशी को आज़माना,
हमारा मुस्कुराना हो गया है।
*अमझेरा धार मप्र
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