✍️सुवर्णा जाधव
पिछड़ी संस्कृति मानकर
उसे कुछ लोग थे ठुकराते
ये क्या पिछड़ापन ?
हाथ मिलाने के बजाय
कहते हैं नमस्ते,
हाथ पाव धोकर ही
घर में है आते ।
बाहर ही निकालते जूते
जल्दी उठते
और जल्दी है सोते
खाना सिर्फ
घर का ही पसंद करते ।
साथ साथमिलजुल
कर है रहते।
कितना पिछड़ापन
कैसे हैं जीते ?
अब कोरोना आया
सभी को भारतीय संस्कृति का
मोल समझ में आया
अब सारा विश्व कहता है
हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते।
और सभी देखो
भारतीय संस्कृति है अपनाते।
भारतीय संस्कृति का
बखान करते अब नहीं थकते।
वसुधैव कुटुंबकम
अब सब कहते ।
पिछड़ी संस्कृति मानकर
उसे कुछ लोग थे ठुकराते ।
अब देखो सब
उसका ही गुणगान गाते।
पिछड़ी संस्कृति मानकर
उसे कुछ लोग थे ठुकराते
ये क्या पिछड़ापन ?
हाथ मिलाने के बजाय
कहते हैं नमस्ते,
हाथ पाव धोकर ही
घर में है आते ।
बाहर ही निकालते जूते
जल्दी उठते
और जल्दी है सोते
खाना सिर्फ
घर का ही पसंद करते ।
साथ साथमिलजुल
कर है रहते।
कितना पिछड़ापन
कैसे हैं जीते ?
अब कोरोना आया
सभी को भारतीय संस्कृति का
मोल समझ में आया
अब सारा विश्व कहता है
हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते।
और सभी देखो
भारतीय संस्कृति है अपनाते।
भारतीय संस्कृति का
बखान करते अब नहीं थकते।
वसुधैव कुटुंबकम
अब सब कहते ।
पिछड़ी संस्कृति मानकर
उसे कुछ लोग थे ठुकराते ।
अब देखो सब
उसका ही गुणगान गाते।
*मुंबई
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