*राम जीन्दिया
बेवफ़ाई के हुनर को आज़माना चाहिए।
ज़िन्दगी में इक दफ़ा दिल भी लगाना चाहिए।
हौंसला जब भी कभी टूटे तुम्हारा राह में
बोझ सपनों का तुम्हे खुद ही उठाना चाहिए।
जो मरासिम हो फ़कत मतलब का मेरे ख़्याल से
उस मरासिम को तुम्हे फिर भूल जाना चाहिए।
तुम जहां पर भी मुसीबत को खड़े पाओ कभी
बेझिझक तुमको न फिर यूँ लड़खड़ाना चाहिए।
जो कभी हो सामना अपनों से मैदां में तो फिर
यार तुमको बेवज़ह ही हार जाना चाहिए।
लोग तुमको हैं गिराना चाहते ये जान लोड
राज़ अपना फिर न तमको यूँ बताना चाहिए।
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