✍️प्रवीण त्रिपाठी
ज़िन्दगी बदल गयी,
समाज भी बदल रहा।
स्वतंत्रता नहीं रही,
पहरों का राज चल रहा।
तन की दूरी बढ़ रही,
मन से मन को जोड़ लें।
संबल देकर सभी को
जीवन का रुख मोड़ ले।
स्वच्छता शाश्वत सत्य आज,
साबुन सेनटाइजर का साथ है
स्वच्छ अंग- अंग को रखना
दीर्घ जीवन का राज है।
भीड़-भाड़ के दिन लद गए
संयमित अब रहें लोग।
दूर रखेंगे हम संक्रमण,
करें सब मास्क का प्रयोग।
निर्धन की करें सहायता,
जितनी भी हो शक्ति।
दुख हरना हर दीन का,
यही होगी ईश्वर भक्ति।
खुद तो निर्भर बनें ही,
देश को भी साथ लें।
अपनायें पूर्ण स्वदेशी मंत्र ,
बदल भारत की साख दें।
दिखा दिया है विश्व को
कम न हम को समझना।
संकल्प से सिद्धि पाते
कभी न हमसे उलझना
*नोएडा
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