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युवा शक्ति का शोषण :रोजगार पर गहराता संकट 









*सुनील कुमार माथुर 

देश भर में इस समय युवा शक्ति का जमकर शोषण हो रहा है सरकारी सेवा मे नई भर्तियां नहीं हो रही हैं जिसके कारण युवापीढ़ी प्राइवेट संस्थानों की ओर जा रहें है जहां युवाओं को उनके हुनर के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा है और उनका शारीरिक व मानसिक शोषण हो रहा है और कोरोना महामारी के चलतें तो प्राइवेट संस्थानों ने अपने यहां कार्यरत श्रमिकों व कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय ही किया है । जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते कोई भी संस्थान अपने कर्मचारी को संस्थान से नहीं निकालेगा और उन्हें पूरा वेतन देगा । 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस घोषणा के बाद श्रमिक भरोसे में रह गयें और फैक्ट्री मालिकों व निजी संस्थानों ने उस वक्त तो चुप रहें और अपने-अपने संस्थानों को बंद कर दिया और अब वे श्रमिकों व कर्मचारियों को वेतन देने से इंकार कर रहे है या दे भी रहे है तो वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है । जिन मजदूरों के बलबूते पर मालिकों ने अपने आलीशान भवन खडे किये आज वे ही उनका इस संकट की घड़ी में शोषण कर रहे है । यह कहां का इंसाफ है ।

हुनरमंदो को  नौकरी से निकालने के  लिए डराया धमकाया जा रहा है । कहीं कहीं पर तो कर्मचारियों को हटाया भी गया है तो कहीं कम वेतन देकर काम चलाया जा रहा है । कर्मचारी को उसके हुनर के मुताबिक वेतन न देना उसका खुले आम शोषण ही है ऐसे में कैसे आत्मनिर्भर भारत की कल्पना की जा सकती है । कोरोना के कहर के चलते बेरोजगारी बढ रही हैं जिसमें सबसे ज्यादा संख्या युवा शक्ति की है । 

देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने लाॅक डाउन में कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के केन्द्र सरकार के आदेश पर कहा है कि इस मसले का समाधान प्रतिष्ठानों और श्रमिकों को बातचीत से ही निकालना होगा । यह सत्य है कि कोई भी उधोग श्रमिकों के बिना जीवित नहीं रह सकता है । तब फिर मालिक अपनी मनमानी क्यों कर रहे है । 

सरकार की तरफ से जो आदेश दिये गये थे वह कर्मचारियों और श्रमिकों की वितीय कठिनाइयों को दूर करने के लिए भले ही एक अस्थाई उपाय थे लेकिन इसका लाभ कर्मचारियों को कहा मिला । सरकार ने 29 मार्च की अधिसूचना को 18 मई 2020 को भले ही खत्म कर दी लेकिन कर्मचारियों को लाभ कौन देगा । उनके सिर पर खतरे की तलवार क्यों  ?

अगर देश में ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले समय में जीवन यापन करना मुश्किल हो जायेगा व चारों ओर मंहगाई का बोलबाला हो जायेगा व देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जायेगी और लोग रोजी - रोटी के लिए भटकते रहेगे व धन्नासेठ जनता का शोषण करते रहेंगे चूंकि इस देश की युवा शक्ति को कमजोर किया जा रहा है । नई भर्तियां नहीं हो रही हैं और निजी संस्थानों में लूट खसोट मची हुई है । इस वक्त निजी रोजगार करने वालें भय के माहौल में जी रहें है कि न जाने कब नौकरी से निकालने दियें जायेंगे  एक तो कोरोना का कहर और से रोजगार की कोई गारंटी नहीं ।

अधिसूचना श्रमिकों को रोकने के लिए थी लेकिन जब उन्हें भुगतान नहीं मिला तब पलायन करना पडा और सरकार ने उन्हें ट्रेनों व बसों की सुविधा ऐसे वक्त दी जब सरकार स्वंय उधोग धंधे खोलना चाहती थी । सरकार की दुहरी नीति का खामियाज़ा कर्मचारियों व श्रमिकों को झेलने पड रहा है व सबसे बडा नुकसान मध्यम वर्गीय परिवार को झेलने पड रहा है   ।

*पालरोड जोधपुर राजस्थान 

 


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