*रश्मि वत्स
सृष्टि का है बस यही नियम,
जो बोओगे वही काटोगे तुम।
फिर भी मानव सुधर न पाता,
सदैव करता इसका उल्लंघन।।
विज्ञान की देन है प्लास्टिक,
हर वस्तु के प्रयोग में प्लास्टिक।
प्रदूषित करता वायुमंडल को,
भयंकर विकराल रूप लेता ये प्लास्टिक।।
चहूंओर है प्लास्टिक का डंका,
इस्तेमाल में लगता यह चंगा।
रखकर ताक अपने जीवन को,
दिन बे दिन बढ़ता इसका धंधा ।।
हर रूप में नज़र है आता ,
हल्का है इसलिए सुहाता ।
मेज,कुर्सी,टेबल,बर्तन,शोपीस आदि सामानों का,
बना बैठा है यह राजा ।।
नष्ट होता, न यह सडता ,
बस धरा को दूषित यह करता ।
प्रयोग कर इसका बिमारी आती ,
फिर भी मानव जागृत न होता।।
जीव-जंतु भी इससे आहत होते,
खाकर इसको मौत में सोते।
पीड़ा इनकी कोई समझ न पाता,
समय गुज़रे फिर सब हैं रोते।।
मानव जीवन का यह लोभ,
दे रहा है भयंकर रोग।
बहिष्कार करो अब प्लास्टिक का,
बंद करो अब तो इसका उपयोग ।।
*मेरठ(उत्तर प्रदेश)
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