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नशा है मृत्यु को न्यौता



*राम गोपाल राही


नशा है मृत्यु को न्यौता, नशे की मार होती है |

नशीली ज़िन्दगी समझो, बहुत बेकार होती है ||

 

सुरा पी जी रहे जो भी ,सुरा पी जाएगी उनको  | 

जो आदत गम भुलाने की ,दगा दे जाएगी उनको||

नशीली कोई भी वस्तु ,जहर की धार होती है  |

नशीली जिंदगी समझो ,बहुत बेकार होती है ||

 

 नशा जब रोग बन जाता, नहीं उपचार से जाता |

नहीं इसकी दवा कोई , यह मरने पर ही जा पाता |

नशा  वो रोग की जिससे . क्षति अपार होती है |

नशीली जिंदगी समझो बहुत बेकार होती है ||

 

 न जीवन संतुलित रहता ,घटे जीवन की क्षमताएँ |

संभल  न जिंदगी पाती ,  हो पग पग पर विषमताएँ ||

न वश में  र्जिन्दगी खुद के ,विवश लाचार होती है |

नशीली  जिन्दगी समझो ,बहुत बेकार होती है ||

 

नशा घर बार धन दौलत ,करे चौपट तबाही दे |

नशा कर जी रहे उनकी ,कहानी यह गवाही दे ||

 नशे में विष की यूँ मानो,  बड़ी भरमार होती है |

नशीली जिंदगी समझो ,बहुत बेकार होती है ||

 

नशा जीवन में घातक है ,यह भारी चोट करता है |

करे घायल यह घर बैठे ,कई कर खोट देता है ||

नशे से मृत्यु  यूँ समझो ,खड़ी घर द्वार होती है |

नशीली जिंदगी समझो ,बहुत बेकार होती है ||

 

नशा यमराज का भेजा ,छले यमदूत बन आता |

 न पथ यमदूत का रुकता ,यह जीवन साथ ले जाता |

हो घर में मौत सन्नाटा ,दुखों की मार होती है |

नशीली   जिंन्दगी समझो , बहुत बेकार होती है ||

 

नियम शराबबंदी का ,अमल हो मुल्क में सारे |

बचे  नर . सहस्त्र मृत्यु से , शराबी नर जो बहुसारे |

व्यसन शराब का छूटे ,विषम शराब होती है |

नशीली जिंदगी समझो ,बहुत बेकार होती है ||

 

लाखेरी,जिला बूँदी (राज)

 


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