*निशा झा
मौसम भी बड़ा लाज़वाब होता है!
अपने ही रंग में रंगा हुआ होता है,
कभी हंसता तो, कभी ग़मगीन होता है!
सात रंग के हसीन रंगों में रंगीन होता है,
आसमान पर कई तरह की छटा बिखेरता !
काला,नीला, तो कभी गुलाबी होता है,
आज भी आसमान में रंग भरा है, तुने !
पर उदासी की दास्तान बिखेरा हैं! तुने,
आज, क्या हुआ? तुने रूद्र रूप रखा है !
मौसम तु भी बड़ा, खुश मिज़ाज. होता है,
पर तेरे बदलते तेवर, मुझे से डर लगता है!
कभी तु भी भंवर में , न डाल दे हमें ,
बस इसी बात से मुझे डर लगता है !
खट्टी-मीठी हैं, तेरी ये अजब दास्ताने,
अब तू ही बता , किया इरादे है ! तेरे
मौसम तु भी , बड़ा ही लाज़वब हैं !!
*जयपुर राजस्थान
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