*कैलाश सोनी सार्थक
मंजिलों की चाह रख बढ़ता हूँ मैं!
बस,हुनरमंदों में ही रहता हूँ मैं!!1
चाहते हैं लोग मुझको इसलिए!
प्रेम का हर फलसफ़ा लिखता हूँ मैं!!2
लोग बेगाने मुझे लगते नहीं!
स्वाद जब अपनत्व का चखता हूँ मैं!!3
हर जगह पर चीखकर कहता नहीं!
दिल में अपने देश को रखता हूँ मैं!!4
टूट जाए दिल जरा सी बात पर!
ऐसी बातें,सुन नहीं कहता हूँ मैं!!5
जिंदगी पल में बिखर जाए नहीं!
बेवफाओं से सदा डरता हूँ मैं!!6
खूबियों को लोग मेरी मानते!
मर गया पर,आजतक दिखता हूँ मैं!!7
हूँ बहुत अनमोल लेकिन क्या करूँ!
मैं ईमाँ हूँ,आजकल बिकता हूँ मैं!!8
शब्द हूँ मैं,सार हूँ, सोनी तभी!
गीत गजलों में सदा सजता हूँ मैं!!9
*नागदा (उज्जैन)
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