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जामुनी  दिन



*अशोक 'आनन'

 

बारिश के

फिर लौट आए -

ये जामुनी  दिन ।

 

आसमान  में 

घुमड़   रहे -

अमावसी       बादल ।

देखकर इन्हें

हुआ जाए -

मन  -  मयूर   पागल ।

 

उमंगों  भरी

फुहारों  के -

ये  फागुनी  दिन ।

 

बारिश का यह पानी

और -

काग़ज़  की  वे नाव ।

आंखों   में

उमड़   आया -

यादों  का  हर  गांव ।

 

रेत   के वो घरौंदे

और -

वो  बातुनी  दिन ।

 

याद        आया 

बचपन -

बारिश   के   बहाने ।

किशमिशी यादें

और -

वे     मीत     पुराने ।

 

तितलियों  -  से

उड़  गए  -

वे  पाहुनी   दिन ।

 

*मक्सी ,जिला - शाजापुर ( म. प्र.)

 


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