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हैं यार मेरे ग़म मुझे इस बात का



*आयुष गुप्ता

हैं यार मेरे ग़म मुझे इस बात का,

मिल ना सका मुझको सिला जज़्बात का।

 

एक तो उसे दिखते न थे आँसू मिरे,

कमबख़्त मौसम भी रहा बरसात का।

 

कुछ दोस्त तो कुछ शौक हैं दिन के लिए,

मसला नहीं दिन का सनम, हैं रात का।

 

ये ज़िन्दगी हैं खूबसूरत यार बस,

ना ज़िक्र तुम करना मिरे हालात का।

 

वो छोड़ कर तुझे गया तो क्या हुआ,

ग़म किसलिए करना ज़रा सी बात का।

 

*उज्जैन

 


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