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ग़म अभी थोड़ा सा खाओ तो सही



*हरगोविन्द मैथिल

ग़म अभी थोड़ा सा खाओ तो सही ।

मुश्किलों में मुस्कुराओ तो सही ।।

 

क्यूंँ खफ़ा रहते हो ख़ुद से इस तरह ।

बात दिल की भी सुनाओ तो सही ।।

 

भूलकर दिल से गिले शिकवे सभी ।

प्यार से रिश्ते निभाओ तो सही ।।

 

चूम लेंगी मंजिलें आकर क़दम ।

तुम क़दम आगे बढ़ाओ तो सही ।।

 

फर्ज़ से मुंँह मोड़ते हो क्यूंँ भला ।

अज़्म अपनी आजमाओ तो सही ।।

 

दास्तां दुनिया तुम्हारी गाएगी ।

तुम हुनर अपना बताओ तो सही ।।

 

वक़्त समझौता करेगा एक दिन ।

हौसला मैथिल दिखाओ तो सही ।।

*विदिशा

 


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