*धर्मेन्द्र बंम
समय को देख रहा हूँ मैं जाते हुए
नजर आ रहे हो तुम मुस्कराते हुए
बीमारी में हुए पराये अपने भी
दवा लेकर देखा तुम्हें आते हुए
प्यार से पाला था जिन्हें मैंने कभी
चल दिए आईना मुझे दिखाते हुए
जिंदगी मांगो तो सही तुम एक बार
जान दे देंगे खुशियां लुटाते हुए
परवाह नहीं है मुझे इस दुनिया की
दोस्त का साथ है दोस्ती निभाते हुए
जीत लुंगा मैं जमाने से जंग अब
दोस्ती की कसम को हरपल खाते हुए
*नागदा जंक्शन
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