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देश प्रेम



*रश्मि वत्स 
देश को अपने न झुकने देंगें।
इस आंधी को अब न रूकने देंगें।
माटी से लहू को सींचकर,
शहादत का गुल खिलने देंगें।

देश के अपने तो पहरा होगा।
गद्दारों पर घाव गहरा होगा।
घुसकर उनके घर भीतर,
तिरंगा फतेह का लहराना होगा।

दुश्मन की बातों को मान दिया है।
सदैव ही जीवनदान दिया है।
छल-कपट से फिर भी उसने,
सीने में खंजर घोप दिया है।

इस गद्दारी की कीमत अब उसे चुकानी है।
अब तो उसको औकात दिखानी है।
धूल चटायेंगें हम उसको ,
मन में अब यह ठानी है।
*मेरठ(उत्तर प्रदेश)



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