*डा केवलकृष्ण पाठक
देश हित की भावना हो ,,हर युवा के हृदय में
उदंडता का भाव ना हो,हर युवा के हृदय में
देश हित की भावना हो ,,हर युवा के हृदय में
उदंडता का भाव ना हो,हर युवा के हृदय में
देश में बलिदान होने की इच्छा हो प्रबल
सब की सेवा भावना ,हर युवा के हृदय में
जो जहाँ जाये युवा ,सब को मिलें प्रसन्नचित
सब में मैत्री भावना हो ,हर युवा के हृदय में
जति- पाति भेद ना हो ,संप्रदायक ना बनें
ना हो उंच-नीच भावना ,हर युवा के हृदय में
कोई ना बहकाये किसी को ,कुछ भी ना लूटे कोई
सच्चाई की भावना हो ,हर युवा के हृदय में
प्यार बांटें प्यार पाएं घृणा ना उपजे कभी ,
जगत सेवा भावना हो ,हर युवा के हृदय में
*जींद ( हरियाणा )
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