*ममता सिंह
मौसम ने अब रुत है बदली
धूप भी हो गई धुँधली-धुँधली
सूरज भी हो गया है मद्धम
चाँद छुपा बादल में हरदम
मौसम की हो छटा निराली
बारिश होती जब-जब रिमझिम
चिड़ियों को भी देखो,
अब तो खुशी से गाती फिरती है
कभी यहाँ, कभी वहाँ है डोले
मन भर ये विचरती हैं
किसानों के चेहरों पर भी,
छाई अब तो खुशहाली है
नज़र जहाँ तक जाती है
देखो फैली हरियाली है
ऐसा ही हरा रंग छाए
धरती के हर कोने में
जो भर दे खुशहाली
हर प्राणी के जीवन में।।
*24 परगना(प.बंगाल)
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