*रामगोपाल राही
घर और परिवार से बढ़कर ,
जग में कोई ठौर नहीं |
परिवार में निजता रक्षा ,
होती कहीं और नहीं ||
हो कोई भी जटिल समस्या ,
हल उसका भी मिलता है |
आपस में सहयोग समर्थन ,
परिवार संग मिलता है ||
घर अपने परिवार में रहना ,
सचमुच अच्छा होता है |
परिवार को छोड़ जो रहता ,
समझो सब कुछ होता है ||
रिश्तों की मजबूत नींव पर
होता है परिवार खड़ा |
परिवार की अहमियत का ,
होता है एहसास बड़ा ||
स्नेह व संबंध प्रीत संग ,
संग संग रहना होता है |
परिवार में मिलकर रहना ,
साथ निभाना पड़ता है ||
रिश्तों का जंजाल भले हो ,
लेकिन उत्तम होता है |
परिवार में सब का होकर ,
जीना उत्तम होता है ||
दरक दरक जाते हैं रिश्ते ,
दिल में जड़ता होने से |
परिवार में रिश्ता टूटे ,
स्वार्थ ,लोभ के होने से ||
परिवार में जीना मरना ,
सबसे अच्छा होता है |
परिवार के हित साधन में ,
रहना श्रेष्ठ होता है ||
परिवार में स्नेह भाव से ,
नित खुशहाली होती है |
हर्षे हर्षे सब जन होते ,
रोज दिवाली होती है ||
त्याग भावना बड़प्पन की ,
सीख मिले परिवारों से |
मर्यादा अनुशासन हम सब ,
सीखें सब परिवारों से ||
परिवार का जीवन दर्शन ,
सुख समृद्धि प्यार मिले |
सब के हित में अपने हित का ,
मिलनसार आधार मिले ||
हर उम्र के रिश्ते नाते ,
मिलते हैं परिवारों में |
मिलता है सकून सभी को ,
रहने से परिवारों में ||
दादा से पढ़ पोते तक ,
होते हैं परिवार में |
शालीनता से जीवन जीना ,
सब सीखें परिवार में ||
परिवार की गरिमा व्यापक ,
समझो यह परिवार में |
चार पीढ़ियाँ तक समाहित ,
मिल रहती परिवार में ||
रक्त समूह जन वृध्दि से ,
बढ़ते हैं परिवार सभी |
संयुक्त परिवार रूप में ,
मिल रहते परिवार सभी ||
सच समाज की लघु इकाई ,
होता है परिवार भला |
मानव समाज संचालन में ,
अहंम है परिवार भला ||
सामाजिकता मौलिक अंश ,
परिवार को कहते हैं |
प्राणी जगत की मुख्य इकाई ,
सभी इसी को कहते हैं ||
सभ्यता का रूप परिष्कृत ,
परिवार का होना ही |
छोटे बड़े घरेलू जन का
मिल आपस में रहना ही ||
विश्वभर में पंद्रह मई को ,
आता है परिवार दिवस |
परिवार का महत्व अहमियत ,
बतलाता परिवार दिवस ||
*रामगोपाल राही लाखेरी
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