*आयुष गुप्ता
मैं तुम्हे अपने पास बुलाना चाहता हूँ,
तुम्हे अपने सब गीत सुनाना चाहता हूँ।
चाहता हूँ तुम्हें मुस्कुराते हुए देखूँ,
और तुम्हे देख मुस्कुराना चाहता हूँ।
मैं तमाम सितारों को लाकर तुमको,
अपने हाथों से सजाना चाहता हूँ।
मैं चूम कर तुम्हारी इन आँखों को,
जहान में रोशनी फैलाना चाहता हूँ।
मैं तुमको अपना बनाने से पहले सनम,
मुलाक़ातों का एक जमाना चाहता हूँ।
कभी मिलकर मुझे गले से लगा अपने,
मैं तुझे दिल की धड़कने सुनाना चाहता हूँ।
तू कभी तो मुझसे ज़िक्र-ऐ-इश्क़ कर,
मैं तुझे हाल-ऐ-दिल बताना चाहता हूँ।
*आयुष गुप्ता, उज्जैन
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