*राजीव डोगरा 'विमल'
बीत गया जो वक्त
तो अब क्यों
मुझे तलाश रहे हो।
जब थे आपके पास
तो बस आपके ही थे।
अब गैरों ने
जब बाहें पकड़ ली
तो क्यों अब
हताश और परेशान हो रहे हो?
क्या बीता हुआ बीता वक्त
अब याद आ रहा है,
या फिर बीते हुए लम्हों की
अपनी गलतियां
अब याद आ रही है?
तुम तो कहते थे
मुझे में बहुत कमियां है,
और मुझे में वो
काबिलियत नहीं
जो मोहब्बत करने वाले
आशिकों के पास होती है।
पर आज मुझ में
वो काबिलियत तुम्हें
कहाँ से दिखगी?
पर मैं तो आज भी वही हूं
नाजुक से दिल वाला
जो अपने दर्द से ज्यादा
दूसरों के दर्द को
ज्यादा महसूस करता हूं।
*राजीव डोगरा 'विमल',ठाकुरद्वारा
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