*प्रो. रवि नगाइच
रुख से ना हटाओ नकाब लॉक डाउन है
क्यो रहते इतने बेताब लॉक डाउन है
अभी घर पर ही ठहरो,काहे की जल्दी
फिर मिलके करेंगे हिसाब लॉक डाउन है
यह कैसा मौसम है मदहोश किए है जबकि
साकी ना जाम ना शराब लॉक डाउन है
सहमा है बाजार सिनेमा माल सभी चुप
टला जो होना था इंतखाब लॉक डाउन है
उसको खत लिक्खे पूरा महीना गुजर गया
आया ही नहीं कोई जबाब लॉक डाउन है
जिसकी तहरीर में महकारे रातरानी है
दिल मेरा खुशबू-ए- किताब, लॉक ड़ाउन है
अब के मिलेंगे तो कभी वापिस न जायेंगे
ताबीर हो रहा ये ख्वाब लॉक डाउन है
मजबूत रहें दूर रहें सुरक्षित और सतर्क
यही मंत्र करेगा लाजवाब, लॉक डाउन है
मारी मारी फिरेगी यह कोरोना महामारी बस
बाहर नहीं निकलना जनाब ,लॉक डाउन है
*प्रो. रवि नगाइच ,उज्जैन
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