*डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
कोरोना से हर तंत्र यहाँ, है ध्वस्त हुआ.
राष्ट्र कई भामाशाहों से, आश्वस्त हुआ.
डॉक्टर, पुलिस, सफाई कर्मी और प्रशासन,
सबके ही प्रयासों से सुदृढ व प्रशस्त हुआ.
सहयोगी बनें नागरिक सब, पर सजग रहें,
हर नगर-गाँव कुछ लोगों से, है त्रस्त हुआ.
सा’माजिक दूरी रखें व्यर्थ न, निकलें घर से,
कड़ी पालना से कोरोना, है पस्त हुआ.
दिन रात न देखा कोरोना, योद्धाओं ने,
जाने कब सूरज उदय हुआ, कब अस्त हुआ.
मंदी से जग है घिरा रुकी, गति विकास की,
हताहतों से प्रभावित विश्व, है’ समस्त हुआ.
जीवन शैली अपनाले यदि, यह सुखी रहे,
मुश्किल से थोड़ा मानव है, अभ्यस्त हुआ.
इक दिन फिर निकलेगी किरणें, उम्मीदों की
कोरोना से सूरज कुछ दिन, है अस्त हुआ.
*डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल, कोटा
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