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कोरोना लगाए बैठा है घात



*मोहित सोनी


न दिन देख रहा, न रात,

न जात देख रहा, न पात,

घर से बाहर मत निकलो,

कोरोना लगाए बैठा है घात,

प्रकृति का प्रकोप है,

दिखा दी जिसने,

मानव को औकात,

कुछ दिन घर बैठों और

खाओ दाल-भात,

अच्छे-अच्छों के छुड़ा दिए छक्के,

कोरोना ने,

खट्टे कर दिए कइयों के दाँत,

हर तरफ चर्चा है बस इसकी,

चहुँओर बस इसकी ही बात,

घूम रहे फिर भी बाहर,

लातों के भूत नहीं मानते बात

सब ढूंढ़ रहे इसकी वैक्सीन,

फैलने से रोके कैसे?

कोरोना कह रहा मानव से,

तू डाल-डाल, मैं पात-पात,

भगवान अन्तर्ध्यान हो गए,

आकाशवाणी हो रही टीवी पर,

लॉकडाउन में घर पर ही

सुरक्षित रहोगे, 

हे तात,

जीत का ब्रह्मास्त्र यही

इसी से होगी उसकी मात

घर से बाहर मत निकलो,

कोरोना लगाए बैठा है घात,

घर से बाहर मत निकलो,

कोरोना लगाए बैठा है घात,

 

*मोहित सोनी, कुक्षी (धार)

 


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